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में मरण होगा।। 7।।
'पुष्य नक्षत्र' पर शय्या-ग्रहण करने से 'मृगसिर-नक्षत्र' पर मरण होगा।। 8।। 'आश्लेषा नक्षत्र' के समय शय्या स्वकार करने से चित्रा नक्षत्र' पर मरण होगा।।9।।
'मघा-नक्षत्र' के समय शय्या स्वीकार करने से उसी दिन मरण होगा अथवा आगे उसी नक्षत्र के आने पर मरण होगा।। 10।। ___'पूर्वाफाल्गुनी-नक्षत्र' में यदि सन्यास ग्रहण के लिये शय्या का आश्रय करे, तो घनिष्ठा-नक्षत्र के समय दिन में मरण होगा।। 11 ।। __ 'उत्तराफाल्गुनी-नक्षत्र' में शय्या-ग्रहण की तो 'मूल-नक्षत्र' पर सायंकाल में मरण होगा।। 12।।
हस्त-नक्षत्र' पर यदि सन्यास लिया, तो 'भरणी-नक्षत्र' पर दिन में मरण होगा।। 13 ।।
'चित्रा-नक्षत्र' में सन्यास-ग्रहण करने पर मृगसिर-नक्षत्र' पर आधी रात में मरण होगा।। 14।।
'स्वाति-नक्षत्र' पर शय्या ग्रहण करे, तो रेवती-नक्षत्र' के समय प्रभातकाल में मरण होगा।। 15।।
विशाखा-नक्षत्र' पर शय्या-ग्रहण करने से 'आश्लेषा-नक्षत्र' पर मरण होता है।। 16।।
'अनुराधा-नक्षत्र' पर शय्या-धारण करने से 'पूर्वाभाद्रपद-नक्षत्र' में दिन में मरण होगा।। 17।।
'मूल-नक्षत्र' पर शय्या-ग्रहण करने से ज्येष्ठा-नक्षत्र' पर प्रभातकाल में मरण होगा।। 18।। ___ 'पूर्वाषाढ़ा-नक्षत्र' में शय्या का आश्रय करने से 'मृगसिर-नक्षत्र' पर रात के प्रारम्भ के समय में मरण होगा।। 19।। _ 'उत्तराषाढ़ा-नक्षत्र' पर सन्यास-धारण करने से उसी दिन या 'भाद्रपद-नक्षत्र' में अपराह्नकाल में मरण होगा।। 20।।
'श्रवण-नक्षत्र' में शय्या-ग्रहण की जाय, तो उत्तराभाद्रपद-नक्षत्र' में दिन में मरण होगा।। 21 ।।
'धनिष्ठा-नक्षत्र' पर शय्या ग्रहण करें, तो उसी दिन या आगे उसी नक्षत्र के आने पर मरण होगा।। 22।।
'शतभिष्-नक्षत्र' पर सन्यास-धारण करे, तो ज्येष्ठा-नक्षत्र' पर सूर्यास्त के समय मरण होगा।। 23 ।।
'पूर्वाभाद्रपद-नक्षत्र' में यदि सन्यास-ग्रहण करेगा, तो 'पुनर्वसु-नक्षत्र' पर रात में मरण करेगा।। 24।।
'उत्तराभाद्रपद-नक्षत्र' में शय्या ग्रहण करेगा, तो उसी दिन में या रात्रि में मरण करेगा।। 25 ।।
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प्राकृतविद्या-जनवरी-मार्च '2000