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देश-विदेश में अनगिनत शैक्षिक संस्थाओं के संस्थापक, संचालक एवं मार्गदर्शक रहे डॉ० मण्डन मिश्र जी आज भी 'अहर्निशं सेवामहे' के आदर्श वाक्य को अपने जीवन में चरितार्थ करते हुये निरंतर राष्ट्र की सेवा में समर्पित हैं। उनकी सुदीर्घ यशस्वी सेवाओं का इतना विस्तृत इतिहास है, कि यदि कोई लिखना चाहे तो एक पूरा ग्रंथ निर्मित हो सकता है।
ऐसे निस्पृह साधक मनीषी एवं समाजसेवी को राष्ट्रीय सम्मान बहुत पहले मिल जाना चाहिये था, फिर भी अब बीसवीं शताब्दी के प्रारंभिक दिनों में उन्हें 'पद्मश्री सम्मान' से सम्मानित किया जाना न केवल डॉ० मण्डन मिश्र जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का सम्मान है; अपितु संपूर्ण शिक्षाजगत् इससे गौरवान्वित तथा उत्साहित है।
राजधानी के विभिन्न शिक्षा संस्थानों, समाजसेवी संगठनों एवं शिक्षाविदों ने उन्हें 'पद्मश्री सम्मान' दिये जाने का सुसमाचार जानकर व्यापक हर्ष व्यक्त किया है तथा उनका अभिनंदन किया है। साथ ही भारत सरकार को ऐसे सुयोग्य व्यक्तित्व के लिये यह सम्मान दिये जाने के प्रति हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित की है। प्राकृतविद्या-परिवार एवं कुन्दकुन्द भारती न्यास की ओर से विद्वद्वरेण्य डॉ० मण्डन मिश्र जी को इस प्रतिष्ठित सम्मान की प्राप्ति होने पर हार्दिक अभिनंदन है। तथा उनके सुदीर्घ यशस्वी सुस्वस्थ जीवन की मंगलकामना भी।
–सम्पादक ** श्रीमती शरन रानी बाकलीवाल को 'पद्मभूषण' सम्मान 'सरोद रानी' के नाम से विश्वविख्यात श्रीमती शरनरानी बाकलीवाल देश की सुप्रतिष्ठित एवं वरिष्ठतम संगीत-विशेषज्ञ हैं। वे भारत की प्रथम सरोद-वादिका हैं, जो विगत तीन पीढ़ियों से सरोदवादन के लिए समर्पित हैं। आपको भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं०. जवाहरलाल नेहरू जी ने 'भारत का सांस्कृतिक राजदूत' कहकर अभिनंदित किया था। और यह उचित भी है, क्योंकि आपने सम्पूर्ण विश्व में सरोदवादन के माध्यम से भारतीय संगीत को गौरवान्वित किया है। ____ आपको सन् 1968 ई० में 'पद्मश्री' सम्मान मिला था। फिर 'राष्ट्रीय संगीत दिल्ली का साहित्यकला-परिषद् एवार्ड' (1974), लॉस ऐंजिल्स विश्वविद्यालय; अमेरिका द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि (1979) 'नाटक अकादमी एवार्ड' (1986) एवं दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा विशेष सम्मानित एल्यूमिनि एवार्ड' (1999) आदि समय-समय पर प्राप्त होते रहे हैं। इस वर्ष भारत के महामहिम राष्ट्रपति की ओर से आपको ‘पद्मभूषण' सम्मान दिये जाने की घोषणा की गयी है, जो निश्चय ही भारतीय संगीत के प्रति आपके अपार समर्पण एवं निष्ठा का सुपरिणाम है। ___ 'संगीत-सरस्वती', 'कलामूर्ति', 'अभिनव संगीत शारदा', 'कलारत्न', 'सरोदश्री', 'भारत गौरव' एवं 'कला-शिरोमणि' आदि उपाधियों से विभूषित श्रीमती शरनरानी बाकलीवाल को श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित ने 1968 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ० जाकिर हुसैन की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र अभिनंदन-ग्रन्थ विशाल समारोह में समर्पित किया था। इस तरह सम्मानित होने वाली वे भारत की एकमात्र संगीतज्ञ हैं।
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प्राकृतविद्या-जनवरी-मार्च '2000