Book Title: Prakrit Vidya 2000 01
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 112
________________ नियमित रूप से लेखनकार्य करते रहते हैं। इस अंक में प्रकाशित 'आचार्यश्री विद्यानंद वंदनाष्टक' नामक कविता के रचयिता आप हैं। स्थायी पता—मंगल कलश, 394, सर्वोदय नगर, आगरा रोड़, अलीगढ़-202001 (उ०प्र०) 8. श्री राजकुमार जैन—आप जैनविद्या के गवेषी विद्वान् हैं तथा आयुर्वेद-जगत् में आपकी विशेष ख्याति है। इस अंक में प्रकाशित आलेख 'श्रुतज्ञान और अंग वाङ्मय' आपके द्वारा लिखित है। स्थायी पता—फ्लैट नं०-112A, ब्लॉक-C, पॉकेट-C, शालीमार बाग, दिल्ली-110052 9. डॉ० उदयचंद जैन–सम्प्रति सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर (राज.) में प्राकृत विभाग के अध्यक्ष हैं। प्राकृतभाषा एवं व्याकरण के विश्रुत विद्वान् एवं सिद्धहस्त प्राकृत कवि हैं। ___इस अंक में प्रकाशित 'कातंत्र व्याकरण और उसकी उपादेयता' शीर्षक आलेख आपकी लेखनी से प्रसूत हैं। स्थायी पता—पिऊकुंज, अरविन्द नगर, ग्लास फैक्ट्री चौराहा, उदयपुर-313001 (राज०) 10. डॉ० सुदीप जैन श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ, नई दिल्ली में प्राकृतभाषा विभाग में उपाचार्य (रीडर) एवं विभागाध्यक्ष होने के साथ-साथ प्राकृतभाषा पाठ्यक्रम के संयोजक भी हैं। अनेकों पुस्तकों के लेखक, सम्पादक । प्रस्तुत पत्रिका के मानद सम्पादक'। इस अंक में प्रकाशित सम्पादकीय' के अतिरिक्त 'कुमार: श्रमणादिभिः सूत्र का बौद्ध परम्परा से संबंध नहीं' नामक आलेख आपके द्वारा लिखित हैं। स्थायी पता—बी-32, छत्तरपुर एक्सटेंशन, नंदा फार्म के पीछे, नई दिल्ली-110030 11. डॉ० जयकुमार उपाध्ये—आप जैनदर्शन, प्रतिष्ठाविधान, ज्योतिष एवं वास्तुविद्या के अच्छे प्रतिष्ठित विद्वान् हैं। तथा विभिन्न विषयों पर आप लिखते रहते हैं। इस अंक में प्रकाशित 'भट्टारक परम्परा' शीर्षक आलेख आपकी लेखनी से प्रसूत है। स्थायी पता—बी-34, डी०डी०ए० फ्लैट, कटवारिया सराय, नई दिल्ली-110016 12. श्रीमती अमिता जैन—प्राकृत, अपभ्रंश एवं जैनविद्या की स्वाध्यायी विदुषी। इस अंक में प्रकाशित आलेख 'जैनदर्शनानुसार शिशु की संवेदनशक्ति एवं विज्ञान की अवधारणा' नामक लेख आपकी लेखनी से प्रसूत है। पत्राचार-पता—बी-704, प्रथम तल, सफदरजंग इन्क्लेव एक्सटेंशन, नई दिल्ली-110029 13. श्रीमती रंजना जैन हिन्दी साहित्य, जैनदर्शन एवं प्राकृतभाषा की विदुषी लेखिका हैं। इस अंक में प्रकाशित आलेख 'अहिंसा : एक विश्वधर्म' शीर्षक आलेख आपके द्वारा विरचित है। स्थायी पता—बी-32, छत्तरपुर एक्सटेंशन, नंदा फार्म के पीछे, नई दिल्ली-110030 ____ 14. डॉ० (श्रीमती) माया जैन आप जैनदर्शन, की अच्छी विदुषी हैं। इस अंक में प्रकाशित 'आचार्यश्री विद्यानन्द जी सामाजिक चेतना' शीर्षक आलेख आपकी लेखनी से प्रसूत स्थायी पता—पिऊकुंज, अरविन्द नगर, ग्लास फैक्ट्री चौराहा, उदयपुर-313001 (राज०) 00 110 प्राकृतविद्या-जनवरी-मार्च '2000

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