Book Title: Prabuddha Jivan 2015 02 Gandhi Jivanno Antim Adhyay Visheshank
Author(s): Dhanvant Shah
Publisher: Mumbai Jain Yuvak Sangh

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Page 24
________________ ગાંધી જી કે |અથ પૃષ્ઠ ૨૪૦ પ્રબુદ્ધ જીવન ગાંધી જીવનનો અંતિમ અધ્યાય વિશેષાંક ૯ ફેબ્રુઆરી ૨૦૧૫ અંતિમ * hષાંક 5 सका। १८ મારવા-લૂંટવાની હેવાનિયતમાં તરબતર હતી, એ જોઈને અત્યંત મોહભંગ થઈ ગયો, તેઓ નિભ્રમિત થઈ ગયા. આવડી મોટી અંગ્રેજ % વેદના અનુભવતા ગાંધીજીને કેવળ લાચારી અને અસહાયતાનો સલ્તનતને અહિંસા અને સત્યાગ્રહ વડે ઝુકાવી શકાય, પણ પોતાના રે અહેસાસ થાય છે. ત્યારે એમને ગજેન્દ્રમોક્ષની ઘટના અને ઈશ્વરની દેશબાંધવાનો જીતી ન શકાયા. એમાં પ્રજાનો દોષ જોવાને બદલે, 5 ૐ કરુણા યાદ આવે છે. ત્યારે તેઓ કહે છે: આત્મનિરીક્ષણ કરી, તેઓ પોતાની અધૂરપનો દોષ નિહાળે છે. हिन्दुस्तानरूपी गजराज को हो सके तो छुड़ाना चाहता हूं। मुझको अपना आत्ममंथनमाथी नवनीत नीपच्यु ते मे: क्या करना चाहिए। मेरा पराक्रम कुछ कर सके तो मुझको खुशी है। पर हमारी अहिंसा नामर्द की अहिंसा थी।१५ अब ३२ वर्ष के बाद मेरी ॐ मेरा शरीर तो थोड़ी हड्डी है, थोड़ी चर्बी। ऐसा आदमी क्या कर सकता आंखें खुली हैं। मैं देखता हूं कि अब तक जो चलती थी वह अहिंसा नहीं है है है? किसको समझा सकता है? लेकिन ईश्वर सबकुछ कर सकता है। तो थी, बल्कि मंद-विरोध था। मंद-विरोध वह करता है कि जिसके हाथ में है में रातदिन ईश्वर को पकड़ता हूं। हे भगवान, तू अब आ, गजराज डूब रहा हथियार नहीं होता। हम लाचारी से अहिंसक बने हुए थे, मगर हमारे दिलों है। हिन्दुस्तान डूब रहा है। उसे बचा। ११ । ____ में तो हिंसा भरी हुई थी। अब जब अंग्रेज यहाँ से हट रहे हैं तो उस हिंसा मेवामा मनोन्महिवस माव्या. त्यारे तेमनामा उत्साह को आपस में लड़ कर खर्च कर रहे हैं।१६...मैंने तो ऐसी गलती की कि भने भगनथी, दु:५, ताशामने शरमनी बागामोछे. हुमो अबतक जो चीज चलती रही उसे अहिंसा समझता रहा। जब ईश्वरने के હું એમના શબ્દોઃ किसी से काम लेना होता है तो वह उसको मूर्ख बना देता है। मैं अभी तक o आज तो मेरी जन्मतिथि है... मेरे लिये तो आज यह मातम (शोक) अंधा बना रहा। हमारे दिलों में हिंसा भरी हुई थी ऐर उसका आज यह मनाने का दिन है। मैं आज तक जिंदा पड़ा हूं। इस पर मुझको खुद आश्चर्य नतीजा है कि हम आपस में लडे और लडे भी बहुत वहशियाना तौरसे।२७ से होता है, शर्म लगती है। मैं वही शख्स हूं कि जिसकी जबान से एक चीज़ हिंदुस्ताननी प्राने ४di di तमोजता गया, निलकती थी कि ऐसा करो तो करोड़ों उसको मानते थे। पर आज तो मेरी मैं कबूल करता हूं कि मैं आपको सच्ची अहिंसा नहीं सीखा कोई सुनता ही नहीं है। १२ { આવી ક્ષોભજનક સ્થિતિમાં લાંબુ જીવવાનું ક્યાંથી ગમે ? એક કેટલી પીડા, કેટલા દુઃખ સાથે આ શબ્દો બોલાયા હશે? મહાવીર ; 8 સમયે જે ૧૨૫ વર્ષ જીવવાની વાત કરતા હતા એ ગાંધીજી પોતાનું અને બુદ્ધ જેવા અહિંસાના પુરસ્કર્તાઓના ફરજંદરૂપ આ દેશના હું જીવન જલ્દી પૂરું થાય એવું ઈચ્છવા લાગ્યા છે. એમનો જીવનરાગ નાગરિકોને એક સવાલ પૂછવાનું મન થાય છે કે દેશમાં જે કાંઈ હું F (lifedrive) मोसरतो डोय भने मृत्युनी छ (death wish) थयुं भने if 2 २j छ, मां धर्मात्मामीनासत, मे @ બળવાન થતી હોય એવો અનુભવ થાય છે. જુઓ એમનાં વચનો: મહાત્માના તપ કે પછી આપણા વ્રત-શું ઓછું પડ્યું? है ऐसी हालत में हिन्दुस्तान में मेरे लिये जगा कहाँ है और मैं उसमें जिंदाधीन सायं प्रार्थना पतन अवयनोनी है रह कर क्या करूंगा? आज मेरे से १२५ वर्ष की बात छूट गई है। सोनोशाध्य पछी ५२नो प्रश्न वारंवार धुमराया ४२ छ. ॥ १०० वर्ष की भी छूट गई है और ९० वर्ष की भी।आज मैं ७९ वर्ष में प्रवयनोमा ४ चिंतन, मनन, विमशः ५७i छ मेशिनी भने तो पहूंच जाता हूं, लेकिन वह भी मुझको चुभता है। १३ મહાત્મા ગાંધીજીની માનસિકતા સમજવા માટે અત્યંત મહત્ત્વની छता मनी भागी हुमो: એવી દસ્તાવેજી સામગ્રી છે. એકવાર તો એમાંથી પસાર થઈ જુઓ- ૐ , रामराज्य तो छोड़ दो, आज तो किसी का राज्य नहीं। ऐसी हालत में ए मेरा जैसा आदमी क्या करे? अगर यह सब नहीं सुधर सकता तो मेरा ' ' लो, 34, प्रोईसर सोसायटी, भोट २, लम - हृदय पुकार करता है कि हे ईश्वर! तू मुझको आज क्यों नहीं उठा लेता? [१] विद्यानगर (3८८१२०) सेखन. : ०८७२७333०००. पादटीप विवरण : मैं इस चीज को क्यों देखता हूं। अगर तू चाहता है कि मुझको जिंदा रहना (१) प्रार्थना प्रवचन खण्ड १, पृष्ठ ७ (२) प्रार्थना प्रवचन खण्ड १, पृष्ठ ५६ है तो कम से कम वह ताकत तो मुझको दे दे जो में एक वक्त रखता (3) प्रार्थना प्रवचन खण्ड १. पृष्ठ १२६ (४) प्रार्थना प्रवचन खण्ड १, पृष्ठ १३२ & था।१४ (५) प्रार्थना प्रवचन खण्ड १, पृष्ठ १५७ (५) प्रार्थना प्रवचन खण्ड १, पृष्ठ १८२ वनना तिमहिसोमiniधानीमा हासत ती. (७) प्रार्थना प्रवचन खण्ड १, पृष्ठ १९३ (८) प्रार्थना प्रवचन खण्ड १, पृष्ठ २३७ समसापानीमनीसा (९) प्रार्थना प्रवचन खण्ड १, पृष्ठ ३३४ (१०) प्रार्थना प्रवचन खण्ड १, पृष्ठ ३५१ (११) प्रार्थना प्रवचन खण्ड १, पृष्ठ ३२२ (१२) प्रार्थना प्रवचन खण्ड १, पृष्ठ ३७८ અહિંસાના શાશ્વત મૂલ્યોના પાયા પર એક સુખી, સમૃદ્ધ અને સંસ્કારી (१३) प्रार्थना प्रवचन खण्ड १, पृष्ठ ३७९ (१४) प्रार्थना प्रवचन खण्ड १, पृष्ठ २८२ २॥ष्ट्र २यवानुभमनुस्खनुतु. ५२तु भवणतना पारास्थातम (१५) प्रार्थना प्रवचन खण्ड १, पृष्ठ १६५ (१६) प्रार्थना प्रवचन खण्ड १, पृष्ठ २७० भनी मछाने, मेमना स्वप्नने रोजीटोणी नाण्या. अमनो (१७) प्रार्थना प्रवचन खण्ड १, पृष्ठ २७३ (१८) प्रार्थना प्रवचन खण्ड १, पृष्ठ ४०० ગાંધી જીવનનો અંતિમ અધ્યાય વિશેષ 'સ્વાર્થ અને ભયથી મુક્ત થયા વિના ઈશ્વર મળે નહી. | વતનો અંતિમ અધ્યાય વિશેષાંક ૬ * ગાંધી જીવનનો અંતિમ અધ્યાય વિશેષાંક 5 ગાંધી જીવનનો અંતિમ અધ્યાય વિશેષાંક 4 ગાંધી જીવનનો અંતિમ અધ્યાય વિશેષક 5 ગાંધી જીવનનો અંતિમ અધ્યાય વિશેષાંક ૬ ગાંધી જીવનનો અંતિમ અધ્યાય વિશેષાંક ગાંધી ન ગાંધી જીવનનો અંતિમ અધ્યાય વિશેષાંક 5 ગાંધી જીવનનો અંતિમ અધ્યાય

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