________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
वन्दु पूजु जावथी, श्रीगौतम गणधार; सद्गुरु चरणकमल नमुं, श्रुतदेवी सुखकार. ३ पंचज्ञान पूजा रचुं- जैनागम अनुसार, पंचज्ञाननक्तिथकी, शिव पामे नर नार. ४ प्रथम ज्ञान पछीथी दया, ज्ञाने क्रिया प्रमाण; क्रिया नक्ति ने त्यागनुं-ज्ञान मूल छे जाण. ५ ज्ञाने मिथ्यातम टळे, ज्ञाने मुक्ति थाय; ज्ञान ते आतमधर्म छे, ज्ञान सदा सुखदाय. ६ मतिश्रुत अवधिज्ञान छे, मनपर्यव सुखकार; पांचमु केवलज्ञान छे, अनुक्रमे पूजा सार. ७
॥ प्रथमामतिज्ञानपूजा॥ मति अहावीश भेद छ, त्रणसे चालोश तेम; सम्यग् श्रद्धायोगथी, सम्यग्मति गुण क्षेम. १ चउभेदे मतिज्ञान छे, सापेक्षाए जाण; केवलज्ञाने प्रकाशियु, श्रीवोरे मतिज्ञान. व्यंजनावग्रह भेद छ, मन चक्षुवण चार; अर्थावग्रहलेद , चोवीस सत्य विचार, अथार्वग्रहने इहा, अपाय धारणा चार; पंचकरण मन चउगुणे, चोवीस निश्चय धार. ४
For Private And Personal Use Only