Book Title: Pooja Sangraha Part 3
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
५५१
चौमुखजीनी टुंकमां देरां - जुहारीए धरी प्यार;
नरसिंह केशवजीकृत मन्दिर, वंदीए वारंवार विभु०३ साकरचंद कर्मचंदनुं देरु - बन्दीए जिनराज; छीपावशीमां प्रतिमा पूजे, प्रगटे शिवसाम्राज्य. विजु०४ उजमबाइनी टुंक जलेरी, नंदीश्वरसुखकार; हेमाजाइनी टुंक मनोहर, पूजीए प्रभु धरी प्यार. विभुन्य प्रेमचंद मोदी टुंक जलेरी, जिनप्रतिमाओ अनेक; बालाजाइ टुंकनां दर्शन, करीये हृदय धरी टेक. विभु०६ मोतीशानी टुंक मझानी, जिनमन्दिर जयकार; आदीश्वरनी टुंक बे मोटी, सर्व टुंक शिरदार. विभु०७ हीराचंद रायकर्णनुं मन्दिर, शान्तिनाथनुं बेश; कपर्दि चकेश्वरी रखवाळी, सहायकरी हरे क्लेश. विभु०८ जुलभुलामणी मन्दिर मनहर, अन्य भलां मन्दिर; कुमारपालराजानुं देरु, वन्दीए धरी दिल धीर. विभु०९ हायपोळमां आदश्विरनुं - मन्दिर जगजयकार; बुद्धिसागर जिनवर दर्शन-पूजन शिवसुखसार. विभु१०
काव्यम् सरस शान्ति०
ॐ० प० जलादिकं यजामहे स्वाहा ॥
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620