Book Title: Pooja Sangraha Part 3
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 611
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५५२ ॥ अथ दशमी पूजा. ॥ जैनतीर्थगिरि मंडपो, आदीश्वर भगवान्; वंदतां पूजतां ध्यावतां, - प्रगटे केवलज्ञान. ( व्हाला पेगे आवारे. एराग ) आदीश्वर देवारे, करुं भावे सेवारे, प्रभु म्हने तारशो होजी; प्रभु छे त्हारो महिमा अपरंपार, यादी वर० साखी. त्रणप्रदक्षिणा देइने, वन्दु प्रतिमा अनेक; पुण्डरीक गणधर नमुं, रायण पगलां विवेक. तुज आणावे भक्तिरे, भक्तिमां सहु शक्तिरे; सेवामां देव वास बे, होजी. यदीश्वर हारुं दर्शन छे शिवकार, अर्पाइ गयो तुज उपर निर्धार. साखी. For Private And Personal Use Only आदीश्वर : मनवचकायाशुद्धिथी, शास्त्रविधि अनुसार; श्रद्धाप्रीतिभक्तिथी, गाउ तुज गुण सार; दुर्गुण दोष टाळेरे, प्रभु घट नाळेरे; भक्तोने मुक्ति हाथ मां होजी, जक्तोनुं सहु प्रभु उपर कुर्बान; तुजपर वारी जाउ, तन मन प्राण. आदीश्वर० २

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