Book Title: Pooja Sangraha Part 3
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 618
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५५९ तुहि माता पिता ने भ्राताः बुद्धिसागर यो सुख शाता, संघ मंडल मान. जय० ॥ ९ ॥ मंगल दीपक. जय जिनवर तुज जग बलिहारी, विश्वोद्धारक जग उपकारी. जय० मंगलदीवो मंगलकारी, तेथी पूजुं जिन जयकारी. जय० ॥ १ ॥ द्रव्यभाव मंगल अवतारी, तुज जक्त मंगल निर्धारी. जय० जगर्मा मोटो मंगल दीवो, विश्व जीवन तुं चिरंजीवो. जय० ॥ २ ॥ शक्ति अनंती अगम अपारा, सर्व जीव दिल्मां छो प्यारा; जय० नय निक्षेपथी निश्चय न्यारा, सर्वविश्वना छो आधारा. जय० ॥ ३ ॥ गुणपर्याय अनंता दरिया, अनंत शक्ति स्वभावे भरिया. जय० नवग्रह इन्द्रादिक तुज बंदा, निशदिन सेव करे सूरचंदा. जय० ॥ ४ ॥ परब्रह्म महावीर गवाया, अरिहंत परमेश्वर जिनराया; जय० बुद्धिसागर मंगल राया, पूजी प्रेमे तुज गुण गाया. जय० ॥ ५॥ For Private And Personal Use Only

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