Book Title: Pooja Sangraha Part 3
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 612
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ५५३ साखी. तुजमुज ऐक्य अनुभवे, - आनन्द घट उभराय; मरे मोह निज आत्ममां, आत्मजीवन प्रगटाय. दुर्गुण त्यागेरे, तुज गुणरागेरे, सत्य सेवा तारीरे होजी; Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तुज भक्तिए मुक्ति छे मुज निर्धार, व्हाला प्रभु त्हारो छे म्हने आधार. आदीश्वर० ३ साखी. दर्शन ज्ञान चारित्रमां, प्रभु तुज भक्ति सत्य; तुज उपदेशप्रवर्तने, सफलां सेवाकृत्य. शुद्धतम प्यारारे, आतमना आधारारे; ॥ १ ॥ बुद्धिसागर तारजो होजी, तुज सम थाशुं तुज भक्तें निर्धार. आदीश्वर० ॥ ४ ॥ काव्यं सरस शान्ति० ॥ ॐ ही जलादिकं यजामहे स्वाहा ॥ ७० ॥ अथ एकादशमी पूजा. ॥ सोरठसिद्धाचलगिरि, समरु वारंवार; वंदु पूजूं भावथी, शाश्वतसुख दातार. ॥ १ ॥ For Private And Personal Use Only

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