Book Title: Pooja Sangraha Part 3
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
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साखी. थावच्चा मुनि सहसथी, कदंब गणधर कोड; बुद्धिसागर तीर्थनी, जडे न जगमा जोड. सिद्धाचलगिरि करूं सेवरे-महोदय मनोहारी.वि०७
काव्यं-सरस शान्ति मंत्रम् ॐ जलादिकं यजामहे स्वाहा ॥
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अथ नवमी पूजा. पालीताणा नगरमां-नव जिनमंदिर सार; देरिओमां पादुका, वंदीए धरी प्यार. ( विमलाचलवासी मारा व्हाला, सेवकने विसारो नहि विसारो
नहि. ए राग.) विमलाचलवासी व्हाला वन्दु विभु,तुज प्रेमधरी प्रेमधरी, क्षणेक्षणे स्मरूंप्रभुपूजाकरूंनमुं,लळीलळीलळीलळी. प्रथम तलाटीए गिरि वन्दी, धरीए हर्ष अपार, मार्गानुसारी समकित गुण,सत्य तलाटी विचार,विभु०१ बाब धनपति टुंक मनोहर, जिनप्रतिमा जयकार: वंदी पूजी आगळ चढतां, सूरिंगण देरी सार.विभु०२
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