Book Title: Pooja Sangraha Part 3
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

View full book text
Previous | Next

Page 609
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५५० साखी. थावच्चा मुनि सहसथी, कदंब गणधर कोड; बुद्धिसागर तीर्थनी, जडे न जगमा जोड. सिद्धाचलगिरि करूं सेवरे-महोदय मनोहारी.वि०७ काव्यं-सरस शान्ति मंत्रम् ॐ जलादिकं यजामहे स्वाहा ॥ - - अथ नवमी पूजा. पालीताणा नगरमां-नव जिनमंदिर सार; देरिओमां पादुका, वंदीए धरी प्यार. ( विमलाचलवासी मारा व्हाला, सेवकने विसारो नहि विसारो नहि. ए राग.) विमलाचलवासी व्हाला वन्दु विभु,तुज प्रेमधरी प्रेमधरी, क्षणेक्षणे स्मरूंप्रभुपूजाकरूंनमुं,लळीलळीलळीलळी. प्रथम तलाटीए गिरि वन्दी, धरीए हर्ष अपार, मार्गानुसारी समकित गुण,सत्य तलाटी विचार,विभु०१ बाब धनपति टुंक मनोहर, जिनप्रतिमा जयकार: वंदी पूजी आगळ चढतां, सूरिंगण देरी सार.विभु०२ For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620