Book Title: Pooja Sangraha Part 3
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 607
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५४९ अष्टमी पूजा. विमलाचल वन सदा, धरूं उपयोगे ध्यान; विश्वलोकने तारवा, भवोदधिमा वहाण ॥ १ ॥ (त्रिशलाना जाया महावीररे वन्दु वीर वाणी. ए राग.) विमलाचल व्हाला देवरे, वन्दु सुखकारी; परब्रह्म ऋषभ जिनदेवरे, समरु सुखधारी ॥ साखी. पुण्डरीकादिक गणधरा, आव्या गिरिवर पास; शुद्धातम उपयोगथी, तोड्या कर्मना पास. समोसर्या महावीर देवरे-बन्दो नरनारी; आव्या नेमिविना सहु देवरे, आतम हितकारी.वि०१ साखी. पूर्व नवाणं आविया, स्वामि ऋषन जिणंद; सागरमुनि एककोटि सह, टाळ्या नवनयफंद. बे कोडी मुनिनी साथरे-अनसन निर्धारी; नमि विनमि मुक्ति लहंतरे-अनंतसुख क्यारी.वि०२ साखी. पंचकोटी सहजरतजी, पाम्या मक्तिवास: सत्तरकोटी सह मुनि, अजितसेनजी खास. चोमासु अजितप्रभु देवरे, रहिया अविकारी. वि०३ For Private And Personal Use Only

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