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१९६ मायामृषावादत्याग ए प्रभुनी-, पूजा सेवा सारी; मायामृषावादत्यागथी मुक्ति, सरल ने सत्य थनारी.
प्रभु० २ धर्मीपणुं मान पूजा अर्थे, मायामृषा दुःखकारी; मायामृषाथी भवपरंपरा, पामे नरने नारी.
प्रभु ३ सत्यने समजी सत्यने बोली, लेवो जन्म सुधारी, प्रभुमहावीर भाखे एवं, जइए न जन्मने हारी. प्रभु०४ प्रभुमहावीरनुं शरण स्वीकारी, मायामृषा परिहारी; बुद्धिसागरप्रभुगुणधारी, प्रनु बनीए निर्धारी. प्रभु० ५ ॐ ह्री श्री परम० श्राजरणं यजामहे स्वाहा ॥
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