Book Title: Pooja Sangraha Part 3
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 596
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५३७ ॥ अथ श्रीसिदाचलनवाणुप्रकारी पूजाप्रारंभ ॥ अथ प्रथमा पूजा. आदीश्वर अरिहंत जिन, ऋपभप्रभु धरी ध्यान; अजितादिक तीर्थकरा--वंदु विभु वर्धमान. ॥१॥ अर्हन सिद्धने सूरिगण, वाचकमुनि धरी ध्यान: विमलाचल पूजा रचुं, प्रगटे शिव कल्याण. ॥२॥ द्रव्यभाव व्यवहारने, निश्चयथी गिरिराज; सातनयोथी पूजतां, प्रगटे शिवसाम्राज्य ॥३॥ अढीद्वीपमा तीर्थ नहि, सिद्धाचलसम कोय; सिद्धाचलयात्रा करे, निश्चयथी शिव होय. ॥४॥ चउनिक्षेपे वंदीए, पूजीए सुखकार; भावथी निश्चय आतमा, स्थिरपद पामे सार. ॥५॥ यात्रा नवाणुं भावथी, पूजा नवाणुंप्रकार; वार एकादश कीजीए, अभिषेक नववार, एकादश पूजा नली, नव नव वस्तु सार; श्रीफलादिकथी पूजीए, पूजादिठ सुखकार. ॥७॥ (राग पीलु त्रिताल. ) विमलाचल गिरिसार-जगत्मां विमलाचल गिरिसार, वंदु स्तबुं सुखकार. जगत्मां विमलाचल For Private And Personal Use Only

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