Book Title: Pooja Sangraha Part 3
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 602
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५४३ उल्लसियो, मुज हृदय कमलमा वसियो; श्रद्धा प्रीतिए विकसियोरे, घट सुखसागर उभराय, वि० ॥ ५॥ तुज शरणे निर्नय थइयो, आतमजीवन गह गहियो; मरजीवो थे तुज लहियोरे, तुं आपोआप सुहाय. वि० ॥६॥ विमलाचलवासी व्हाला, मुज सुणशो कालावाला; बुद्धिसागर घट नाळ्यारे, नित्य रहेशो हैडामाह्य. वि० ॥ ७॥ काव्यं सरस शान्ति ॥१॥ ॐ परम० जलादिकं यजामहे स्वाहा ॥ ॥ अथ पंचमी पूजा ॥ सूर्यकुंड शत्रुजयी, आदि जलथी पवित्र, थैने यादीश्वर प्रभु-पूजीए एकचित्त ॥ १॥ अनन्त उद्धारो थया-थाशे वळी अनन्त; सिद्धाचल सेवा करी, थावो सिद्ध भदन्त ॥२॥ ( धन धन जगमां ते नरनार, विमलाचलके जानेवाले. ए राग) धन्य धन्य जगमां ते नरनार, सिद्धाचल दर्शन करनारा; ॥ जाणी द्रव्यभावथी तीर्थ, आतम For Private And Personal Use Only

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