Book Title: Pooja Sangraha Part 3
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

View full book text
Previous | Next

Page 579
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५२० ( आशा ओरनकी क्या कीजे. ए राग. आशावरी. ) घटमां महावीर जिनवर भास्या, आपो आप प्रकाश्या. घटमां० चौदलोक आकारे मनुष्यनुं, तनु मन्दिर जयकारी; असंख्य प्रदेशीयात्ममहावीर, शोभंतुं सुखकारी घटमां० ॥ १ ॥ गुरुगमज्ञाननी कुंचीयोगे, समकित द्वार उघाडयुं मतिश्रुत आंखे अनंत ज्योति, प्रभुनुं रूप निहाळ्युं. घटमां० ॥ २ ॥ अनहदनादनो घंट गाडयो, लळी लळी नम्यो प्रभु पाये; आनन्द प्रगट्यो अतिशय भारी, त्रण्य भुवन न समाये. घटमां० || ३ || दिल फानस मन कोडियामां, प्रीतिघृत पूर्यु सारुं; सद्विचार दीवेट करी शुभ, ज्ञानाग्नि उजियारुं घटमां० ॥ ४ ॥ धर्म बुद्धिनो दीपक एवो, झळहळतो प्रभुज्योते; प्रभु महावीर पासे शोभे, क्षयोपशमउद्योते. घटमां० ॥ ५ ॥ क्षयोपशमना ज्ञानदीपकथी, महावीर जिनवर पूज्या; बुद्धिसागर गुरुकृपाए, सत्यप्रकाशे सूज्या घटमां० ॥ ६॥ ॐ० प० महावीर जिनेन्द्राय - दीपं य० स्वाहा. For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620