Book Title: Pooja Sangraha Part 3
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
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५३४
करावशोरे. मुज० ॥१॥ जैनधर्ममा स्वार्पण कारक,भक्तने प्रत्यक्ष थावशोरे. मुज० उपरउपरनां लटक सलामियां, नास्तिकपासे न आवशोरे, मुज ॥२॥ नाम ने रूपना मोहे मरेला, भक्तोनी आंखे सुहा. वशोरे. मुज संतमां भक्ति पूर्ण धरीने, आतमभावे लयलावशोरे. मुज० ॥३॥ शासनरागे धर्मप्रभावक-बनीने प्रभुने भावशोरे. मुजा सकलसंघनी सेवा सारी, परमब्रह्मपद पावशोरे. मुज ॥४॥ तुजपूजाथी धर्मीजनोनी, धर्मबुद्धि स्थिर थावशोरे. मुज० बुद्धिसागरऋद्धिवृद्धि, कीर्तिजय जग पावशोरे. मुजम् ॥ ५॥
कलश गीत. गायो गायोरे एम शासन वीरने गायो ॥ पंच प्रकारे पूजा रचीने, सनकितशुद्धिए छायोरे. एम ॥१॥ घंटाकर्णमहावीरपूजा, कीर्तनथी गुण पायो; सम्यगदृष्टिदेवनी स्तुति, करतां हर्षे उमाह्योरे, एम० ॥२॥ तपगच्छसागरशाखामांहि, नेमि सा.
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