Book Title: Pooja Sangraha Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Jainoday Buddhisagar Samaj Sanand

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Page 28
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥अथ॥ ॥अष्टप्रकारीपूजा प्रारंभः॥ उहा. श्री संखेश्वर पार्श्वजी, पुरीसादाणी जेह; पद पंकज नमी तेहना, रचना रचुं गुण गेह. १ पूजा अष्ट प्रकार , आद्य न्हवण जयकार; चंदन कुसुमने धूपनी, पंचमी दीप मनोहार. १ अदत नैवेद्य फुल इम, पूजा अष्ट प्रकार; करतां शिवसुख संपजे, पामीजे नवपार. व्य नावनेदे करी, पूजे जे जिनरायः पूजा करतां प्राणीया, पूजक पदवी पाय. ३ शुन्न सिंहासनमां प्रभु, पमिमा स्थापी सार; .. समय वीधि अनुसारथी, पूजीजे सुखकार. ५ (अनिहारे जिन मंदिर रलियामणुरे.-ए देशी.) बहु नावे सुरवर कोमा कोमी मिलीरे, प्रभुने For Private And Personal Use Only

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