Book Title: Pooja Sangraha Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Jainoday Buddhisagar Samaj Sanand

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Page 51
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (४६) ने, ते पसा वे उन्मादीरे || शा० ॥ ११ ॥ स्वामी सेवक जाव स्वीकारे, मुक्तिमां ते खोटोरे ॥ क र्म खप्याथी सर्वे सरखा, माने ते जीव मोटोर ॥ शा० ॥ १२ ॥ गमनागमन मुक्तिमां माने, मतवादी अज्ञानीरे ॥ गमनागमन रहीत बे मु क्ति, जाणे स्वादूवाद ज्ञानीरे ॥ शा० ॥ १३ ॥ अनंत सुखमय मुक्ति फलने, पामे जवि नरनारीरे ॥ बुधिसागर शिवसुख पामे, चिदानंदपद् धारीरे ॥ शा० ॥ १४ ॥ ॥ श्री श्री - फलं यजामहे स्वादा. ॥ अथ सर्वोपरी गीतं. ( नमो जवियण जावशुंए. ए देशी. ) अष्ट प्रकारी पूजना ए, व्य जाव मनोहार; नवियण पूजीए ए. जिन परिमा जिन सारिखीए, नाखी शास्त्र मजार ॥ जवि० ॥ १ ॥ दु For Private And Personal Use Only

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