Book Title: Pooja Sangraha Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Jainoday Buddhisagar Samaj Sanand

View full book text
Previous | Next

Page 60
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥अथ तृतीय पूजा प्रारंज॥ ॥ उहा.॥ शुज वास्तुकपूजा कहुं, आंणी अतिशय नाव; . स्वर्गादिक सुख पामीए, होवे शिवसुख दाव॥ देव अरिहंत जाणीए, दोषरहित अढार; गुरु सुसाधु महाव्रती, पाळे पंचाचार ॥२॥ जिनवर नाषित सत्य, जैनधर्म जगजोय; सुख पुःख होवे कर्मथी, अवरन कर्ता कोय ॥३॥ . (अनिहारे न्हवण करो जिनराजनेरे. ए देशी.) अनिहारे वास्तुकपूजा शुन कीजीएरे, तजी अवर देवनीपाश; तुपात्रे दान दीजीएरे, सूत्रश्र वरुचि अन्तिलाशश्री संखेश्वर प्रभु पासजी रे॥१॥जवि नावे व्यार्थिक नये करीरे, शा श्वत लोकालोक; को तेहनो को नहिरे, कि मकर्ता मानीए फोक ॥ श्री संखे॥॥ नवं अधो अने तीरगलोकनीरे, स्थीति अनादिः For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71