Book Title: Pooja Sangraha Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Jainoday Buddhisagar Samaj Sanand
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शुल अशुन नेद कहायजो॥ व्य वास्तुकपूजा ना ए कह्यारे लोल, तेह हरखे कहुं चित्त लायजो ॥ नाम रुडुं ॥२॥ घर महेल करावी तेमी येरे लोल, ब्राह्मण होमादिक वासजो ॥ वेद गा यत्री मंत्र नणावीएरे लोल, ब्राह्मण जमामीए खासजो ॥ नाम रुडुं० ॥३॥ देवदेवी ब्रह्मादिक पूजीयेरे लोल, पामा बुझिए कोळु कपायजो।। मरी नरकतणां दुःख नोगवेरे लोल, मिथ्याचा स्तुकपूजामां पापजो ॥ नाम रुडुं॥४॥ फल श्रीफल प्रमुखने होमतारे लोल, पंचन्यि हिं. सा प्रायजो॥ अपमंगल एद खलं कह्युरे लोल, अशुन वास्तुकपूजा कहायजोनाम रुडुं॥५॥शन्न वास्तुकपूजावर्णवुरेलोल,जेनुं रुडुं विशाल स्वरुपजो॥ बुझिशाश्वत संपदा पामीएरे लोल, पास नाम ते मंगल रुपजो॥ नाम रुडुंगा॥ हैं नमो नगवते-जलं चंदनं यजामहे स्वाहा.
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