Book Title: Pooja Sangraha Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Jainoday Buddhisagar Samaj Sanand

View full book text
Previous | Next

Page 63
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (६८) कित वरीयरे ॥श्रीसंखे ॥१॥ यादव लोक नी जरा निवारी, षड्दर्शन विख्यातरे; वामानंदन जगजन वंदन, नमतां पावन गात्ररे ॥श्री संखे ॥॥ परपरिणतिथी अष्टकर्म ग्रही, पर भोगी परकतारे; अतुलबली पण कर्म पिंजर मां, वसीयो निज गुण धरतारे॥श्रीसंखेणा॥ औदारिक वैक्रियाहारक, तैजस कर्मण पंचरे; पंचशरीर घर मानी वशीयो, करतो कर्मनो सचरे॥श्री संखे ॥४॥ सुरापानी बकतो फरे वळी, धत्तुर भक्षक जेमरे; अवली परिणतिथी या आतम, स्वरूप भुख्यो तेमरे॥ श्रीसंखे०॥ ५मनवमां भमतां पुण्योदयथी, सद्गुरु सहेजे मळीयारे; बुद्धि शिवसुख पामे अविचल, सकल मनोरथ फलीयारे । श्रीसंखे॥६॥ नमो नगवते श्रीसंखेश्वर जलं चंदनं पुष्य धपं दीपं अक्षतं नैवेद्यं फलं यजामहे स्वाहाः ।। For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71