Book Title: Pooja Sangraha Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Jainoday Buddhisagar Samaj Sanand
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(६९) ॥अथ पंचमपूजा प्रारंजः॥
॥ उहा ॥ सदगुरु पंच महाव्रती, पंच महाव्रत धार; नावश्री वास्तुक पूजना, कहवे अति सुखकार? पुदगल व्ययी भिन्न ,अचल अमल गुणवान्; शुः बुह परमातमा, चिदानंद नगवान् ॥शा घर प्रातमनुं नळख्यं, जेनो रुमो महेल; वास खरो मुज एहमां, वसतां शिवसुख सहेल॥३
(नमोरे नमो श्री शत्रंजय गिरिवर. ए राग.) वास्तुक नावपूजा निज नावे, चेतननी श६ दाखीरे ॥ वास वसे चेतन जे मध्ये, तेहनी पू. जालाखीरे॥ श्री संखश्वरपासजी गावो ॥१॥ असंख्य प्रदेश प्रातमना जाणो, शुश्वास जीव जोयरे ॥गुणपर्याय स्वन्नाव अनंता, एकेक प्र देशे जोयरे॥श्रीसंखे॥॥ज्ञाता झेयमें ज्ञान त्रिभंगी, प्रातम मांही समायरे॥अस्ति नास्ति
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