Book Title: Pooja Sangraha Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Jainoday Buddhisagar Samaj Sanand
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(५७) कमां मूकीनेरे, प्रभु प्रागळ धरोए चंग: रत्नत्र कमळा वरेरे, बुदिशाश्वतपदरंग॥श्रीसंखेाणा ॥मंत्रम्-3 नमो भगवते श्रीपार्श्वनाथाय-जलं चंदनं.पुष्पं धूपं दीपं अक्षत नैवेद्य फलं
यजामहे स्वाहा ॥ ॥अथ चतुर्थ पूजा प्रारंन ।
॥ उहा ॥ शरीर पुद्गलमां वश्यो, पुद्गल मानी गेह; परभव साधन आवतुं, कमां नाशी तेह ॥२॥ देह अनंतां मीयां, भटकी आ संसार; लाख चोराशी हुँ भन्यो, तार तार प्रभु तारा (सांनळजो मुनी संयम रागे, उपशम श्रेणी चढीआरे.
एराग.) श्री संखेश्वर पाचप्रभु नित्य, मनमंदिरमा धरीएरे; ध्यावी गावी पाप गमावी, श्रम सम
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