Book Title: Pooja Sangraha Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Jainoday Buddhisagar Samaj Sanand

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Page 66
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कलश. गार गारे ए वास्तुकपूजा गाश,अचल अ. मल अभंग महोदय, शुइ सत्ता निज ध्यायी;स मकित दायक हेते पूजा, करतां हर्ष बधाश्रे॥ ए वास्तुकपूजा गा. ॥१॥ मिथ्या परिणति नाशक तारक, आत्म स्वन्नाव सुहाइपरमातम पदं प्राप्ति कारक, सुखकर समकित दारे । ए वास्तुक० ॥॥ धरणें पद्मावती देवी, जेहनी सारे सेवा सुरपति यति तति नूपति पूजीत, श्री संखेश्वर देवरे॥ए वास्तुक०॥३॥ तास पसा ए पूजा रवीए, हर्ष प्रति दिल लायी; जयजय मंगळ माळा कमळा, आतममां प्रगटारे ॥ए वास्तुक० ॥४॥ जन्मनूमि विजापुर गामे, मा. सकल्प करी सार; माघ शुक्ल बारस दिन रचतां, संघमां हर्ष अपाररे । ए वास्तुक० ॥५॥ विद्यादायक धर्म सहायक, गंभीर अज्ञवंत ॥ For Private And Personal Use Only

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