Book Title: Pooja Sangraha Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Jainoday Buddhisagar Samaj Sanand

View full book text
Previous | Next

Page 57
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (५२) वकमळा पावो ॥ संखेश्वर ।। काशीदेश वणा रसी गामरे, विश्वसेन राजा प्रजिरामरे; वामा माता सुख विश्राम ॥ संखेश्वरगा। प्रभु मात कुखे जब आयारे, चोखठ सुरगिरि लायारे; सुरासुर मनमा दरखाया ॥ संखे० ॥२॥एक लाखने साठ हजाररे, पाठजाती कळश मनोहा ररे; प्रभु न्हवण करे जयकार ॥ संखे ॥ ३ ॥ इंशाणीयो हसती गातीरे, जिनदर्शन करी हरखातीरे; नाटक करी मनमां माती ॥ संखे ॥ ४॥ एवा पार्श्वप्रभु घर लावोरे, शुन सिंहासन पधरावोरे; प्रभु न्हवण करी सुख पावो ॥संखे ॥५॥रोगशोग सहु दूर नासेरे, प्रभुश्रःक्ष मनमां वासेरे; शाश्वतपद बुद्धिभासे॥ संखे॥६॥ ॥मंत्रम् ॥ ॐ नमो भगवते श्री संखेश्वर पार्श्वनाथाय ही धरणे पद्मावती सहिताय जन्म जरा मृ. For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71