Book Title: Pooja Sangraha Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Jainoday Buddhisagar Samaj Sanand

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Page 33
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२८) लावी अर्चा जिन करो, होवे मंगळमाळ ॥श (साहेलमीयांनी देशी.) कुमुमपूजा जिननी करो, सुखकारीका. जी म जवजय दूर थाय; दुःखवारीका. चंपक माल ती केतकी, सुख० सुगंधी फूल लाय. दुःख० ॥ कुसुम ॥ १ ॥ कीटक खाधुन लीजीए, सुख० भूमी पर्युं निरधार; दुख० विविध जाति फूल श्री, सुख० पूजा पूण्य प्रकार दुख० ॥ कुसुम० ॥ २॥ मोगरो जासुल पुष्पथी, सुख० पडू ऋतुनां फूल; दुख० प्रशस्य आगमे जे कह्यां, सुख ते लहीये अनुकुल दुखण् ॥ कुसुम० ॥३ ॥ वणिक सुता लीलावती, सुख० पामी जिम शिव स्थान, दुःख तीम नवि जावे कीजीए, सुख पूजा श्री भगवान. दुःख० ॥ कुसुम० ॥४॥ (वीर जिलेसर उपदिशे. ए देशी. ) सत्यशौच कुसुमे करी, जे निज चेतन पूजेरे; For Private And Personal Use Only

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