Book Title: Pooja Sangraha Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Jainoday Buddhisagar Samaj Sanand

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Page 40
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (३५) ज्ञानी तणोरे लाल, ज्ञानीतगुं बहु मानरे; हुं॥ नगोनगावो शाननेरे लाल,लखो लखावोझा नरे. हुं० ॥नाव० ॥६॥शासन चाले ज्ञानश्री रेलाल, नपदेश झानथी थायरे; हु०॥समकित प्रकटे ज्ञानथीरे लाल, मिथ्यात्व दूरे जायरे, हुं० ॥नाव ॥ ॥ पंचमकाले अाधार बेरे लाल, झानश्रुत निरधाररे; हुं०॥वरजो आशातनाश्रुत तणीरे लाल, पामो ज्युं नवपाररे. हुं०॥नाव० ॥॥झान क्रिया अंतर सुणोरेलाल, खजुत्रा नानुं समानरे; ९०॥ देशआराधक किरियारेला ल, सर्व आराधक ज्ञानरे.हुं० ।।जाव०॥ए॥ महिमा ज्ञाननो अति घणोरे लाल, नाख्यो ते नवि जायरे; हुं०॥ आत्मस्वरूप समजो नविरे लाल, पामो शिवपुर गयरे. हुं०॥नाव ॥१० ॥ किरियारहित ज्ञान पांगळं रे लाल, प्रांधळी किरिया तेमरे; हुँ०॥ यातां संगम दोननोरेलाल, For Private And Personal Use Only

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