Book Title: Pooja Sangraha Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Jainoday Buddhisagar Samaj Sanand
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(३३)
(मुतारीना बेटा तुने विनबुरे लोल.-ए देशी.)
नवि नावे दीपकनी पूजनारे, जिन आगळ करीए नित्यजो; मिथ्यात्व अनादि निवारीएरे लोल, प्रभु पूजीए चोखे चित्तजो ॥ प्रभु दीपपू. जा रळियामणीरे लोल ॥ ज्युं पूजा करे सुरई इजो, तिम पूजोत्नविजिन चंदजो; सहो शाश्व त शिवसुख कंदजो ॥ प्रभु ॥१॥धूम अज्ञान नासे वेगलुर लोल, शुइ आत्मरूप प्रगटायजो; रजत कनक ताम्रनां कोसीयारे लोल,तेमां घृत धरो हित लायजो. ॥ प्रभुण॥॥जिण मंदिर वासण मांजीयेरे लोल, घृत कोमीयां मांजीये खासजो; दीवा नघामा नवि मूकीएरे लोल, चि त होयजो शिवसुख प्रासजो. ॥ प्रभु०॥३॥ दीप पूजाश्री जिनमति धनसिरिरे लोल, जिम पामी शाश्वतसुख गयजो, तिम नक्तिनावे जिन पूजीएरे लोल, इम बुझिसागर गुण गाय जो. ॥ प्रभु ॥४॥
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