Book Title: Pooja Sangraha Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Jainoday Buddhisagar Samaj Sanand

View full book text
Previous | Next

Page 38
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (३३) (मुतारीना बेटा तुने विनबुरे लोल.-ए देशी.) नवि नावे दीपकनी पूजनारे, जिन आगळ करीए नित्यजो; मिथ्यात्व अनादि निवारीएरे लोल, प्रभु पूजीए चोखे चित्तजो ॥ प्रभु दीपपू. जा रळियामणीरे लोल ॥ ज्युं पूजा करे सुरई इजो, तिम पूजोत्नविजिन चंदजो; सहो शाश्व त शिवसुख कंदजो ॥ प्रभु ॥१॥धूम अज्ञान नासे वेगलुर लोल, शुइ आत्मरूप प्रगटायजो; रजत कनक ताम्रनां कोसीयारे लोल,तेमां घृत धरो हित लायजो. ॥ प्रभुण॥॥जिण मंदिर वासण मांजीयेरे लोल, घृत कोमीयां मांजीये खासजो; दीवा नघामा नवि मूकीएरे लोल, चि त होयजो शिवसुख प्रासजो. ॥ प्रभु०॥३॥ दीप पूजाश्री जिनमति धनसिरिरे लोल, जिम पामी शाश्वतसुख गयजो, तिम नक्तिनावे जिन पूजीएरे लोल, इम बुझिसागर गुण गाय जो. ॥ प्रभु ॥४॥ For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71