Book Title: Pooja Sangraha Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Jainoday Buddhisagar Samaj Sanand

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Page 37
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir योरे; चार गति संसारमां, अज्ञाने जीव रमी. योरे ।। ध्यान०॥६॥ पुद्गल जामा पहेरीने, चे. तन नाटक करतोरे; राजा कबहु रंक थर, पुद्गल संगे फरतोरे ॥ ध्यान०॥॥ रुवे नाचे खेलतो, हसतो खातो रोगीरे; कबहु चेतन नोगीने, कब हु वियोगी शोगोरे ॥ ध्यान०॥७॥कर्म करी ए सब हुवे, कर्म दूर जब थावेरे; बुद्धिसागर सु. ख लही, चिदानंद कहावेरे ॥ध्यान० ॥ ए॥ 8ी परमपुरुषाय-धूपं यजामहे खादा. ॥अथ पंचम दीपपूजा प्रारंजः॥ उहा. दीपक पूजा जिननी, करीए आणी नाव ।। आत्मगुण हितकारीका,नवजलमां जिमनावर प्रभु आगळ दीपक धरो, दक्षिण पास रसाळ ॥ द्रव्य दीपकनी पूजना, करतां मंगळमाळ ॥२॥ For Private And Personal Use Only

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