Book Title: Pooja Sangraha Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Jainoday Buddhisagar Samaj Sanand

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Page 35
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (३०) अय चतुर्थी धूपपूजा प्रारंजः । दुहा ॥ चोथो पूजा धूपनी, दशांगादिक जाण; कर्मे धनने बाळवा, करतानविक सुजाण ॥१॥ धूप करो प्रभु आगळे, शास्त्र वचन अनुसार, करतांसुख बहु लीजीए, तरीए नवजल पाराश (अनिहारे जिनमंदिर रळियामणुरे. ए राग) नवि नावे धूपपूजा जिननी करोरे, जिम जा वे नव नय रोग; चूरण शुः६ दशांगधीरे, धूप करतां नाले शोग। धूप पूजा ॥१॥ नविना वे धूपधाणुं वामांगे ग्वोरे,अगर तुरुक्क घनसार; कंदर चंदन नखेवतारे, पामीजे नवजल पार ॥धूपपूजा ॥३॥नवि नावे शास्त्रविधि अनुसारथीरे, करीये धूपपूजा शुक्ष, स्वर्गतणां सुख पामीयेरे, वळी लहीए शिवपद बुझ॥धूपपूजा ॥३॥नवि नावे विनयंधर सुख पामतोरे, धूप For Private And Personal Use Only

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