Book Title: Pooja Sangraha Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Jainoday Buddhisagar Samaj Sanand
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(३०) अय चतुर्थी धूपपूजा प्रारंजः
। दुहा ॥ चोथो पूजा धूपनी, दशांगादिक जाण; कर्मे धनने बाळवा, करतानविक सुजाण ॥१॥ धूप करो प्रभु आगळे, शास्त्र वचन अनुसार, करतांसुख बहु लीजीए, तरीए नवजल पाराश
(अनिहारे जिनमंदिर रळियामणुरे. ए राग) नवि नावे धूपपूजा जिननी करोरे, जिम जा वे नव नय रोग; चूरण शुः६ दशांगधीरे, धूप करतां नाले शोग। धूप पूजा ॥१॥ नविना वे धूपधाणुं वामांगे ग्वोरे,अगर तुरुक्क घनसार; कंदर चंदन नखेवतारे, पामीजे नवजल पार ॥धूपपूजा ॥३॥नवि नावे शास्त्रविधि अनुसारथीरे, करीये धूपपूजा शुक्ष, स्वर्गतणां सुख पामीयेरे, वळी लहीए शिवपद बुझ॥धूपपूजा ॥३॥नवि नावे विनयंधर सुख पामतोरे, धूप
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