Book Title: Pooja Sangraha Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Jainoday Buddhisagar Samaj Sanand

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Page 44
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भविक ॥ भाव ॥७॥ ॥ श्री-अक्तं यजामहे स्वाहा ।। ॥सप्तम नैवेद्यपूजा प्रारंजः॥ उहा. नैवेद्यपूजा सातमी, दुःख दोहग हरनार; सुरनर शिवसुख पामवा, कल्पवृक्ष समसार ॥१॥ विविध जुःख मृग सिंहसम, शान्ति तुष्टि करनार; प्रभु पूजाधी रोगं शोग, ए सहु दूर थानार ॥॥ (तेने तरुणीथी वोरे. ए देशी.) नैवेद्यपूजा सातमीरे, करीए प्राणी प्रेम नव जल तरवा नावीकारे, आपे शिव सुख केमहो जविका. नैवेद्यपूजा कीजीएरे. जिन आणा शिर दीजीयेरे, जन्म मरण दूर जाय ॥१॥ मोदक लापसी श्ररांरे, बरफी मा कुलेर: घेबर पारी सांकलीरे, विधिये करी निज घेर हो.॥ नविन For Private And Personal Use Only

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