Book Title: Pooja Sangraha Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Jainoday Buddhisagar Samaj Sanand

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Page 32
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२७) तत्त्व चित्त लावोरे: ऽव्य समकित अवलंबतांना व समकित गुण पावोरे ॥चंदन॥३॥ दायीक समकित चंदने, जे नवि चेतन वासेरे; मिथ्या मत दूर वासना, तेहपकी दूर नासेरे ॥ चंदन० गाय समकित उमीने, नाव सम्यक्त्व जे थापेरे; ते तस खप करतां थकां, किम करीन वनय कापरे ॥चंदन०॥५॥ समकित गुणे पूज ना, चेतननी जे करशेरे; बुद्धिसागर सुख लही, मुक्तिवधू फट वरशेरे ।। चंदन०॥ ६॥ ॥ श्री चंदनं यजामहे स्वाहा ॥ ॥अथ तृतीय कुसुमपूजा प्रारंजः॥ ॥ हा॥ पूजा त्रीजी पुष्पनी, करीए प्राणी नाव; पूजाथी पूजकप', लहीए आप स्वन्नाव ॥१॥ सुवासीत सुदैत्री, नपन्यां फूल रसाळ; For Private And Personal Use Only

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