Book Title: Pooja Sangraha Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Jainoday Buddhisagar Samaj Sanand

View full book text
Previous | Next

Page 31
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२६) सुगंधे जिन पूजता, सुवासीत मन प्राण. ( सुण बहनी पियुमा पग्दंशी.-ए देशी. ) चंदनप्पूजा करते शुननावे, जिनवरनी सुख काजेरे; चंदन सम चेतन शीतलता, थातां शिव सुख गजेरे ॥ चंदन ॥१॥ केसर चंदन घसी जयणाये,मांहे घनसार मिलावोरे; रजत कचोली मांहे ठवीने, प्रभुपूजा विरचावोरे॥चंदन०॥॥ चंदनपूजा योगे जयसुर, शुनमति शिवसुख पामेरे; तिम नवियरा चंदनाजायी, जाये अविचल गमेरे ॥ चंदन ॥३॥ (वीर जिनेश्वर नपदिशे.-ए देशी.) चंदन समकित जावधी,पूजन चेतन कीजे रे; मिथ्यामल दूरे करी,अविचल पदवी लीजेरे. चंदन ॥१॥ दोष अढार रहित प्रभु, देवतत्त्व मन प्राणोरे;सुसाधु गुरुतत्त्व, व्य क्षेत्र काल जा गोरे॥चंदनाशाजिनवर नाषीत सत्य ,धर्म For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71