Book Title: Pooja Sangraha Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Jainoday Buddhisagar Samaj Sanand

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Page 29
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरगिरी लइ जाय; आठ जाति कलशा नरीरे, प्रभु न्हवण करे सुरराय. ॥सुरवर कोमा ॥१॥ बहु नावे नाचे राचे जिन प्रेमधीरे, अनिषेकक री हरखाय; तिम प्रभु पूजा करतां थकांरे, नव्यातम निरमल थाय ॥सुरवर कोमा ॥॥ बहु नावे विप्रवधू जल रेमतीर, जिन पमिमापर सुख कार; स्वर्गादीक सुख पामतीरे, तिम नवियण वर्ती सार. ॥सुरवर कोमा०॥३॥ (धन धन संपति साचो राजा.-ए देशी.) - शमजलश्री आचेतन निर्मल, थाय कहे जि नवाणी रे; शमजलथी शुक्ष चेतन अर्चन, करतां नवनय हागीरे॥शमजल पूजा चेतन करीए॥ २॥मिथ्यात्वा विरति कशायने योग,तेथी कर्म बं धायरे; चारगतिमांनटके चेतन, विविध पुःखने पायरे. ॥शम ॥॥ गजकुसुमालशम जलप्पू जा, करतां बहु सुख पाम्यारे; स्कंधकसूरीना For Private And Personal Use Only

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