Book Title: Paushadh Vidhi
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 6
________________ पड़ी खमासमण दश् श्वा सामायिक मुहपत्ति पमिलेहुं ? गुरुकहे 'पमिलेहे ' त्यारे श्वं कही मुहपत्ति पमिलेहीने, खमाण श्वा० सामायिक संदिसाहुं ? गुरु कहे 'संदिसावेह' श्लं. खमाण श्वा सामायिक गलं ? गुरु कहे गय' त्यारे श्छ कही बे हाथ जोमी नवकार गणी श्छकारी नगवन् पसाय करी सामायिकदमक उच्चरावोजी. गुरु — करेमि ते सामाश्यं-'नो पाठ कहे. तेमां एटलो विशेष जे 'जावनियम-'ने ठेकाणे जाव पोसहं कहेवू. पडी खमाण दर श्वा बेसणे संदिसाहुं ? गुरु कहे ' संदिसावेह ' श्वं. खमाण श्छा बेसणे गउं? श्छ. खमाण श्छा सफाय संदिसाहुं ? गुरु कहे संदिसावेह, खं० खमा० श्वा० सजाय करूं ? गुरु कहें 'करेह' श्वं कही, त्रण नवकार गणवा. पली खमा० श्वा० बहुवेल संदिसाहुं ? गुरु कहे 'संदिसावेह' श्वं खमा श्वा बहुवेल करशुं. गुरु कहे 'करजो' पनी पमिकमणुं न कर्यु होय तो पमिकमणुं करवू. पमिकमणुं करथा पडी रिआवही पमिकमीने पमिलेहणना आदेश मागवा. पमिकमj कर्यु होय तो पमिलेहण करवी. खमा० खार पमिले. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 72