Book Title: Paushadh Vidhi
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 14
________________ ( १२ ) वार निसिही कही ने देरासरना आद्यद्वारमां प्रवेश करावो मूलनायकजीनी सन्मुख जइ दूरथी प्रणाम करीने त्रण प्रदक्षिणा देवी पछी रंगमंरुपमा प्रवेश करी दर्शनस्तुति करीने जो उपाश्रयथी सो डगला उपरांत यावेल होयतो खमा० दइ श्रयावदी पडिकमवा. पछी त्रण खमासमण दइ चैत्यवंदन करवुं पढी जिनमंदिरमांथी नीकलतां त्रणवार वस्सही कही उपाश्रये आवj. त्यां त्रणवार निसिही कहीने प्रवेश करी इरियावदी पडिकमवा. ते पठी जो चोमासुं होय तो मध्यान्हना देव वांद्या गान बीजी वारनो काजो लेवो जोइए तेने माटे एक जणे इरियावदी पडिक्कमीने काजो लेवो, ने शुद्ध करीने योग्य स्थानके परववो. त्यारपठी मध्यान्हना देव वांदवा. (विधि पुर्ववत्) पी जेने चविहार उपवास न होय तेणे पचरकाण पारखं. तेनी विधिया प्रमाणे " पचरुखाण पारवानी विधि. प्रथम खमा० दइ इरियावदी पडिकमवा. याबत् For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Educationa International

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