Book Title: Paushadh Vidhi
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(२४) चत्तारिलोगुत्तमा, अरिहंता लोगुत्तमा, सिझा लोगुत्तमा साहू लोगुत्तमा, केवलिपएणत्तो धम्मो लोगुत्तमो ॥ ६॥ चत्तारि सरणं पवजामि, अरिहंते सरणं पवजामि, सिझे सरणं पवजामि, साहू सरणं पवामि, केवलिपणत्तं धम्म सरणं पवजामि ॥ ७॥ पाणाश्वायमलियं, चोरिकं मेहुणं दविणमुद्धं ॥ कोहं माणं मायं, लोनं पिजं तहा दोसं ॥ ७ ॥ कलहं अपुरकाणं, पेसुन्नं र अरश समानत्तं ॥ परपरिवायं माया-मोसं मिबत्तसवं च ॥ ए॥ वोसिरिसु श्मा, मुकमग्गसंसग्ग विग्घभूआश् ॥ मुग्गनिबंधणार, अहारस पावगणा॥ १० ॥ एगोहं नहि मे को, नाहमन्नस्स कस्स ॥ एवं अदीणमणसो, अप्पाणमणुसासश् ॥ ११ ॥ एगो मे सासओ अप्पा, नाणदंसणसंजुओ ॥ सेसा मे बाहिरा जावा, सवे संजोगलकणा ॥ १२॥ संजोगमूला जीवेण, पत्ता मुस्कपरंपरा ॥ तम्हा संजोगसंबंध, सवं तिविहेण वोसिरियं ॥१३॥ अरिहंतो मह देवो, जावजीवं सुसाहुणो गुरुणो ॥ जिणपन्नत्तं तत्तं, श्य सम्मत्तं मए गहियं ॥ १४ ॥
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