Book Title: Paushadh Vidhi
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 61
________________ (एए) ॥ सात पंचेंद्रिय रत्ननां नाम ॥ १ सेनापतिरत्न. २ गाथापतिरत्न. ३ सूत्रधाररत्न. ४ पुरोहितरत्न. ५ स्त्रीरत्न. ६ अश्वरत्न. 9 गजरत्न. चार थोइनो जोडो. सकल सुरासुर से पाया, नगरी अयोध्या नाम सुहाया ॥ नाभी राया घेर यया ॥ दशेने चारें सुपन देखाया, मरुदेवी मातादे जाया ॥ लंबन ऋखन सुहाया ॥ बप्पन्न दिश कुमरी हजराया, चोसव इन्द्रास मोलाया, मेरुशीखरें न्हवराया || हेम वर - सोहें तनु काया ॥ श्रीकल्याण विमल सुनिसर ध्याया ॥ यदिजिनेसर राया ॥ १ ॥ नमो ॥ विडुम वरणा दोय जिणंदा, दोए शाम दोय ऊजल चंदा, दोए नीला सुख कंदा सोलें जिनवर सुवर्ण वरणा, शिवपुरवासी सवि सुप्रसन्ना ॥ जे पूजें ते धन्या ॥ महा विदेहें जिन विचरंता, वीसे पूरा श्री जगवंता, त्रिभुवन जे अरिहंता ॥ श्री सिद्धाचल नमो शीस ॥ जाव धरीने विश्वा वीस, श्रीकल्याण विमल मुनीश २ ॥ नमो० ॥ सांजल सुधर्म शत्रुंजोमहातमसार || . Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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