Book Title: Paushadh Vidhi
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 62
________________ ( ६० ) अंग इग्यारनुं अंगमकार ॥ दस पन्ना सार ॥ ब बेद ग्रंथ वली सुविचार, मूल सूत्र बोल्या ते सार, नंदी अनुयोग द्वार ॥ पयिा लिसें आगम नाण, श्री जिन भाख्यो जेहवखाण, शत्रुंजय सुणि देइ कांन, श्री कल्याण विमल मुनीश वखाणे, जे कोइ जविका मनमां जाणें । त्यां घर लखमी आणें ॥ ३ ॥ न० ॥ सोरव देशमां शत्रुंजो सार ॥ महिमा मोटो तु य मंडाण, चकेसरी गोमुख यक्ष प्रमाण || यह निश सेवें सूर्य विमान, पूरो परतो तूं सुपराण, पूरव पुएय प्रमाण || श्री जिन शासन विघन निवारे ॥ - दिनाथजीनी सेवा सारें, सेवक पार उतारें ॥ श्री गुरु प्रमोद मणि सुपसाया, तस शीस गुरु प्रणमुं सुपसाया, श्रीकल्याणं विमल सुख पाया ॥ ४ ॥ नमो० ॥ इति ॥ ॥ गीरनुं स्तवन ॥ चंदराउलानी देशी ॥ द्वारिका नयरी समोसरथा रे ॥ बाविसमो जिनचंद ॥ वे कर जोमी जावशुं रे || पूढे प्रश्न नरिंद ॥ टक || पूढे प्रश्न नरिंद विवेकें ॥ स्वामी अग्यारश मानानेके || हतो कारण मुऊ जाखो | महि मा तिथीमो पथारथ वाखो ॥ १ ॥ जी जियंब. जी ॥ For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Educationa International

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