Book Title: Paushadh Vidhi
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 27
________________ (२५) आ चौदमी गाथा त्रण वार कहेवी, पढ़ी सात नवकार गणवा. खमिश्र खमाविथ म खमिय, सवह जीव निकाय ॥ सिकह साख बालोयणह, मुषह वर न नाव ॥१५॥ सव्वे जीवा कम्मवस, चनदह राज नमंत ॥ ते मे सव्व खमाविश्रा, मवि तेह खमंत ॥१६॥ जं जं मणेण बर्फ, जं जं वारण नासिकं पावं ॥ जं जं काएण कयं, मिठामि दुक तस्स ॥ १७॥ M arwa आ प्रमाणे संथारा पोरिसी कही रह्या पली सफाय ध्यान करे, अने ज्यारे नकापीमित थाय त्यारे मात्रा विगेरेनी बाधा टालीने दिवसे पमिलेहेली जग्याए संथारो करे ते आ रीतें: प्रथम जमीन पमिलेहीने कामली पाथरे, पादांते कटासणुं पाथरीने उत्तर पटो पाथरे, मुहपत्ति केमे जरावे, चरवलो पमखे मूके अने मातरीयु पहेरीने माबे परखे हाथर्नु उशिकुं करीने सुए. रात्रीए चालवू पमे तो दमासणवमे पमिलेहतां चालवू. * एक पडो ओछाइ. Jain Educatiqua International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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