Book Title: Paushadh Vidhi
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 43
________________ (४१) ॥त्रीजुं तिविहार- पञ्चरकाण ॥ दिवसचरिमं पञ्चकाइ ॥ तिविहं पि आहारं, असणं, खाश्म, साश्मं, अन्नबणानागेणं, सहसा गारेणं, महत्तरागारेणं, सबसमा हिवत्तियागारेणं वोसिरे ॥ इति तिविहार- पच्चरकाण ॥३॥ ॥चो) दुविहार- पञ्चकाण ॥ दिवसचरिमं पञ्चरकाश् ॥ दुपिहं पि आहारं, असणं, खाश्मं, अन्नछणानोगेणं, सहसागारेणं, महत्तरागारेणं, सबसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरे ॥ शति ॥४॥ ॥ पांचमुं जे नियम धारे तेने देशावगासियतुं पच्च ___ रकाण करवू तेनो पार कहे ॥ देसावगासिनं उवजोगं परिनोगं पच्चरका॥ अन्नघणाजोगणं, सहसागारेणं, महत्तरागारेणं, सबसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरे ॥ ति ॥ ५॥ ॥ अथ पच्चरकाण पारवानी विधि ॥ प्रथम “रियावहियाए ” पडिकमी, यावत् "जगचिंतामणि-" नुं चैत्यवंदन " जयवीयराय" सूधी करवू ॥ पड़ी “ मन्हजिणाणं-" नी सकाय कही मुहपत्ति पमिलेहवी. पड़ी खमासमण दश्श्छा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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