Book Title: Paushadh Vidhi
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
(४०) सिडेण वा, असिजेण वा, वोसिरे ॥ इति तिविहार उपवास, पञ्चकाण ॥ ५॥
____ (बहुं चनविहारउपवास,) सूरे जग्गए अपत्त पञ्चकाच॥ चविहं पि थाहारं, असणं, पाणं, खाश्म, साश्मं, अन्नछणाजोगेणं, सहसागारेणं, पारिछावणियागारेणं, महत्तरागारेणं, सबसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरे ॥ इति चविहारउपवास, ॥ ६॥
॥अथ सांफना पच्चरकाण ॥ तिहां प्रथम बीपासणं. एकासणं, आयंबिलं, तिविहार उपवास अने बह जे करे तेणें पाणहारनु पचरकाण करवू. ते वी रीतें:पाणहारदिवसचरिमं पच्चरका ॥ अन्नकणाजोगेणं, सहसागारेणं, महत्तरागारेणं, सबसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरे ॥ इति ॥१॥
॥ बीजुं चविहार- पञ्चरकाण ॥ दिवसचरिमं पञ्चरकाश् ॥ चउविहंपि आहारं, असणं, पाणं, खाश्मं, साश्मं, ॥ अन्नद्रणा लोगेणं, सहसागारेणं, महत्तरागारेणं, सबसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरे ॥ इति ॥५॥
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72