Book Title: Paushadh Vidhi
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 29
________________ मकाय करे. पढ़ी दंडासण, कुंडी, पाणी, कुंडल, कामली विगेरे जे वस्तु जाचेली होय ते पाली गृहस्थने जलावे. पड़ी इरिश्रावही पडिकमी, खमा श्वा मुहपत्ति पडिलेहुं ? त्यांथी पोसह पारवानी विधिमा लख्या प्रमाणे 'सामाश्यवयजुत्तो' कहेवा सूधी विघि करीने पोसह पारे, अने अविधि थयानो मिठा. मि मुक्कम दे. ति. स्थंमिल जवानी विधि. - पोसहमां कदी स्थंडिल जq पमे तो मातरीयु पहेरी, कालनो वखन होय तो माथे कटासणुं नाखी, कामली ओढी मुहपत्ति केडे राखी, चरवलो काखमां राखी, याची राखेला अचित्त जलनुं मोटुं नानुं लोदादि पात्र लश्ने जाय. त्यां निर्जीव जग्या जोश, अणुजाणह जस्सग्गो' कहीने बाधा टाले. उपती * प्रथम दिवसना चार पहोरनो पोसह पारवानी विधिमां चससायन चैत्यवंदन जयवीयराय पर्यंत करवानुं लखेलुं छे ते आठ पोरवालाने करवानुं नथी. * रात्रे स्थंडिल जर्बु पडे तो सो डगलानी अंदरज जवाय. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72