Book Title: Paushadh Vidhi
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 31
________________ (ए) सचित्त नावने पामे जे. तेथी पोसहमां याचेलुं पाणी काल उपरांत रहेवा न देवू. काल पूर्ण थवाना वखत अगाउ अचित्त पाणीनी अंदर कली चुनो नाखवो. जेथी वधारे वखत सूधी अचित्त रहे. पण जो चुनो नाखवो भूली जाय, अने काल व्यतीत थाय तो दश उपवासनी थालोयण आवे, माटे उपयोग राखवो. परचुरण समजुती. १ आ विधिमां ज्यां ज्यां शरियावही पडिकमवाना लख्या जे त्या त्यां रियावही, तस्स उत्तरी, अन्नब कही एक लोगस्सनो चंदेसु० पर्यंत काउसग्ग करीने प्रगट लोगस्स कहेवा सूधी समजबु. ___५ वखत मोमो थइ जवाना जयथी पोतानी मेले एकला पोसह उच्चरी ले तो फरीने तेमणे गुरुसमक्ष पोसह उच्चरवो तेमां उपधि पडिलेहुं ? पर्यंत बधा आदेश मागवा. (श्रा विधि रा मुहपत्ति पमिलेगा अगाउं करवी.) ३ पडिलेहण करनारें उन्नडक पगे बेसीने मौन Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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