Book Title: Paushadh Vidhi
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 28
________________ ( २६ ) पाबली रात्रे जागीने नवकार संजारी, जावना जावी मात्रानी बाधा टाली यावे. पडी इरयावही पमिकमी, कुसुमि कुसुमिmनो काउसग्ग करीने रात्रिप्रतिक्रमण करे. * त्यार पी स्थापनाचार्य पडिलेह्या पढी तेमनी सन्मुख पमिलेहण करे तेनी विधि या प्रमाणे प्रथम इरियावदी पकिमी, खमा० इछा० पछिलेह करूं ? छं कही पूर्वोक्त पांच वाना पमिलेहे. पी खमा० दइ इछाकारी० पहिलेहणा पमिलेहावो जी. कही वकीलनुं एक वस्त्र परिलेहे . पढी खमा० छा० उपधि मुहपत्ति पहिलेहुं ? छं कही मुहपत्ति प मिले. पबी खमा० इछा० उपधि संदिसाहुं ? इवं, खमा० वा० उपधि पकिलेहुं ? छं कही बाकीनां वस्त्र पमिले. पढी एक जण इरियावदी पक्किमी काजो ले, ने काजो शुद्ध करी इरियावही पमिकमीने विधियुक्त परठवे. त्यार पढी पूर्वोक्त विधियुक्त देव वांदे, अने * प्रभातमां पोसह लीधा पछी राइ पडिकपणुं करवानी विधिमां जे प्रमाणे फेरफार करवानुं लखेलुं छे, ते प्रमाणे मां प समजवु. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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