Book Title: Paushadh Vidhi
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 24
________________ (२२) प्रथम खमासमण दर रियावही पमिकमीने पमिलेहण ( पमिलेहणनी विधि प्रमाणे) करे. पली खमा० दश् रियावही पमिकमवाथी मांगीने यावत् ‘बहुवेल करशुं' पर्यंत सवारना पोसह लेवानी विधि प्रमाणे विधि करे, अने त्यार परी सांऊनी पमिलेहणमां खमा दई 'पमिलेहण करूं? आदेश मागवानो डे त्यांथी 'उपधि पडिलेडं-' नो आदेश मागवा पर्यंत ते प्रमाणे विधि करे.* (पोसहना पच्चरकाणमां जे फेर , ते प्रथम सूचवेल बे.) ए प्रमाणे विधि करी रह्या पनी देव वांदे, मांडला करे, अने पडिकमणुं करे. हवे रात्रिपोसहवाला पहोर रात्रिपर्यंत सकाय ध्यान करे. पड़ी खमा० श्ला० बहु पमिपुन्ना पोरिसी ? कही खमा दक्ष रियावही पमिकमे. पडी खमा० श्छा बहु पमिपुन्ना पोरिसी राश्य संथारए गलं ? गझशुं एम कहीने चउकसा- * जो पहेलां पडिलेहण करी होय तो अहीं सूधी बधा आदेश मागे पण पडिलेहण मुहपत्तिनीज करे अने प्रथम पडिलेहण करी न होय तो सांजनी पडिलेहणनी विधिमां लख्या मुजब पडिलेहण करे. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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