Book Title: Paushadh Vidhi
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 23
________________ (२१) मिकमीने चैत्यवंदनपूर्वक प्रतिक्रमण पूर्ववत् करे. जेणें सवारे चार पहोरनो पोसह उच्चों ने ते नोज विचार आठ पहोरनो पोसह करवानो थायतो तेणें सांऊनी पमिलेहण करती वखते इरियावही पमिकमी, खमासमण दक्ष, 'गमणागमणे' आलोईने पड़ी रियावही पमिकमवाथी मांमीने ‘बहुवेल करशुं, ए आदेश पर्यंत सवारनो पोसह लेवानी विधि लखी ले ते प्रमाणे सर्व विधि करवी. तेमां ‘सकाय करूं' ने बदले ‘सकायमां बुं' कहेवं, अने नवकार त्रणने बदले एक गणवो. त्यारपठी सांऊनी पमिलेहणमा खमा० दश् ' पमिलेहण करूं ?' ए आदेश मागवानो , त्यांथी सघली विधिपूर्वक पमिलेहण करे, देव वांदे, मामला करे, अने प्रतिक्रमण पूर्ववत् करे. . मात्र रात्रीना चार पहोरनोज पोसह करवो हो य तेणे पमिलेहण, देववंदन विगेरे विधि दिवस बतां करवानी होवाथी वहेला श्रावg जोइए, अने ते दिवशे ओगामा श्रोडो एकासणानो तप करेल होवो जाए. तेणें करवानी विधि आ प्रमाणे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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