Book Title: Paushadh Vidhi
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
( १० ) ववी तेनी विधि. प्रथम खमा० वा० बहु परिपुन्ना पोरिसी ? गुरु कहे तहत्ति. इवं कही बीजुं खमा० दइ इरियावदी पमिकमधा, पढी खमा० द श्वा० पमिलेहण करूं ? इयं कहीने मुहपत्ति मिलेहवी.
त्यारपढी गुरु होय तो तेमनी समक्ष "राइमुहपत्ति मिलेहवी. तेनी विधि या प्रमाणे
प्रथम खमा० द, इरियावदी पकिमी, खमा० द छा० राइमुहपत्ति पकिलेहुं ? इछं कही मुहपत्ति पमिलेहवी, पढी वे वांदणा देवा. पती छा० राज्ञ्यं आलोटं ? छं कही तेनो पाठ कहेवो. पबी सवस्सवि राज्यं० कहीने पंन्यास होय तो बे वांदणा देवा. पंन्यास न होय तो एक खमासमणज देवुं. पढी छकारी सुहरा० कहीने पुट्ठोहं खमावj. वे वादणा देवा. पढी इछकारी जगवन् पसाय करी पञ्चरकाणनो आदेश देजो जी. एम कहीने पच्चखाण कर. (लेवुं.)
अ.
पठी सर्व मुनिराजने वे खमासमण, श्छकारी तथाहिंना पाठपूर्वक वंदन कर.
*
आ विधि गुरुनी समक्ष राइप्रतिक्रमण कर्यु होय तेने करवानी नथी.
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72