Book Title: Paushadh Vidhi
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 19
________________ (१७) वाला खमा दश् श्चकारी जगवन् पसाय करी पच्चरकाणनो आदेश देशो जी, एम कही पाणहारनुं पच्चरकाण करे. (चउविहार उपवासवालाने तो पच्चकाण करवानुं नथी. पण प्रनाते तिविहार उपवासन पच्चरकाण लाधु होय ने पाण। न पाधु होय तो आ वखते चनविहार नपवासन पञ्चरकाण करे.) पड़ी खमा श्वा० उपाधि संदिसाहूं.? छे. समा० श्छा उपधि पमिलेहु ? इछ कही प्रथम पमिलेहतां बाकी रहेला वस्त्रोनी... पमिलेरणा करे. तेमां रात्रिपोसह करनार प्रथम कामली पमिलेहे. पमिलेहण थर रहे एटले सर्वे उपधि, ( वस्त्रादि ) लश्ने उना थाय एटले एक जण इरियावही पमिकमी, काजो ल, शुद्ध करी, रियावही पमिकमीने विधियुक्त परत्वे. पली सर्वे देव वांदे. ( विधि पूर्ववत.) पोसह पारया अगाउ प्रथमना याचेला दंमासण, कुंमी, पाण। विगेरे गृहस्थने पांडां जलावी दे. पली अवसरे देवसी अथवा पादिकादि प्रतिक्रमण करे. तेमां प्रथम मात्र रियावही पमिकमे, अने पड़ी खमा दश्ने चैत्यवंदन करे. सातलाख, अढार प्रापस्थानकने बदले श्वा० गमणागमणे आलोउं ? Jain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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