Book Title: Paushadh Vidhi
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 18
________________ ... .. .. - - (१६) प्रथम खमाण् दश् श्छा बहु पडिपुन्ना पोरिसी ? कही खमा शाप इरियावहियं पडिकमामि कही, शरियावही पडिकमवा पली खमाण श्छा गमणागमणे आलोचं ? श्वं कही गमणागमणे आलोववा. पड़ी खमाण श्छा पडिलेहण करूं ? श्लं. कही खमाण मा प्रसार-पमार्जु ? लं कहीने जपवासवालाए सुन्ति , कटीस'ने चरवलो पडिलेहवा. अनें अनारे कुवारी मतियुं की पांच वाना पडिलेहवा.त्पी रखमा अपराधी भवन् पसाय करी पडिलेहमा- पडिसहावा जी-एम कहीने वडिलनु एक वस्त्र पडिलेहवं. पड़ी खमाण श्ला उपधि मुहपत्ति पडिलेहुं ? शं कही, मुहपत्ति पडिलेहीने खमाण श्छा सकाय करूं? श्वं कही नवकार गणीने मन्ह जिणाणंनी सजाय उनडक बेसीने कहेवी. पठी खाधुं होय तों वांदणा दश्ने पाणहारनु पञ्चरकाण करे, अनें तिविहार उपवास* आ शख्दनो अर्थ 'घणा भागे पोरिसि पूर्ण थइ ?' एवो छे + जो पाणी वापरवानी जरुर जे होय तो मुठिसहिअंनुं पञ्च ख्खाण करे, अने पडिलेहण करी रह्या पछी मुठी वाली त्रण नवकार गणीने पाणी वापरे. ते पाणहारनुं पचख्खाण पडिकमणा वखतें करे. पण देव वांया पछी पाणी वापरी शकाय नहीं. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org


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